घड़ा पाप का फूट चुका है
तार – तार की हर मर्यादा , सारी नैतिकता छोड़ चुका है ;
अब्बासी-हिंदू भारत का नेता,औकात ये अपनी दिखा चुका है
ये तो सदा से ऐसा ही था , महामूर्ख थे हम सब हिंदू ;
इसने ऐसा था जाल बिछाया , फंस के रह गया सारा हिंदू ।
अब्राहमिक-षड्यंत्र था पूरा , अरब-अमेरिका की साजिश ;
हिंदू-धर्म नष्ट करने की , कितनी गंदी उनकी साजिश ?
काफी हद तक सफल हो चुका , अब्राहमिकों का ये षड्यंत्र ;
पर धन्य-धन्य “संदीप-देव” , जिसने तोड़ा पूरा षड्यंत्र ।
इसने धर्म का दीप जलाया , हर तरफ रोशनी बिखरायी ;
इसी तरह से “मधु-किश्वर” ने , पूरी साजिश बतलायी ।
इन दोनों का ऋणी रहेगा , भारत का जागा हिंदू ;
इनके कारण हिंदू जागा व पहचाना अब्बासी – हिंदू ।
जाग चुका लगभग हर हिंदू , चरित्रहीन व भ्रष्ट छोड़कर ;
निहित स्वार्थी आंखें मूंदें , जल्दी जायेंगे संसार छोड़कर ।
शत्रु – बोध जो छोड़ चुके हैं , शत्रु उन्हें न छोड़ेगा ;
सबसे पहले यही मिटेंगे , निश्चित ही ये होयेगा ।
घड़ा पाप का फूट चुका है , अब्बासी-हिंदू मिटने वाला है ;
जो भी है लाभार्थी उससे , जेलों में जाने वाला है ।
भ्रष्टाचारी सरकारी अफसर , ये लाइन में खड़ा हुआ है ;
कड़ी सजा पायेंगे ये सब , कोई भी न बचा हुआ है ।
सबसे आगे चुनाव आयोग है , ईडी भी आगे – आगे ;
कमोवेश सारे विभाग हैं , थोड़ा पीछे थोड़ा आगे ।
आजादी से लेकर अब तक , बहुत ही गहरी काली रात है ;
अब जब धर्म का सूर्योदय है , बीत रही ये काली रात है ।
“एकम् सनातन भारत” दल ही , भारत में धर्म का सूर्योदय है ;
ये सूरज जम्मू से आया , सदा-सदा के लिये उदय है ।
इसका सूर्यास्त कभी न होगा , जब तक धर्म-सनातन है ;
सदा रहा है सदा रहेगा , अविनाशी तत्व सनातन है ।
सारे हिंदू ! निद्रा त्यागो , जो निद्रा अज्ञान की ;
धर्म का सूरज उदय हो चुका , सुबह हुई है ज्ञान की ।
धर्म-सूर्य में ग्रहण लगा था , भारत का अब्बासी-हिंदू ;
अब जब मोक्ष-काल आया है , मिटेगा ये अब्बासी-हिंदू ।
सदा-सदा के लिये मिटेगा , फिर ये कभी न पैदा होगा ;
“राम-राज्य” आने वाला है , कोई भी पापी नहीं रहेगा ।
कोई भी न रोक सकेगा , “एकम् सनातन भारत” आयेगा ;
देश के सारे पाप मिटाकर , “राम-राज्य” लेकर आयेगा ।