श्वेता पुरोहित। वर्तमान में राहु और मंगल, भारत के लाभ भाव में रेवती नक्षत्र से गोचर कर रहे हैं. मंगल ने १५ मई २०२४ को रेवती नक्षत्र में प्रवेश किया है और यहाँ १ जून तक रहेगा. राहु भी ८ जुलाई तक रेवती में रहना वाला है.
रेवती नक्षत्र के ग्रह स्वामी बुद्ध हैं और इसके अधिष्ठाता देव पूषन देव हैं जिनको पुराणों में १२ आदित्यों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है. वे माता अदिति एवं ऋषि कश्यप के पुत्र हैं. उनके भाई सूर्य, वरुण और इंद्र हैं.
रेवती का ग्रह स्वामी बुध हमारी संचार और मानसिक क्षमता से जुड़ा ग्रह है. यह बुद्धि, कानून, तर्क शक्ति और लॉ का भी कारक ग्रह है. यह नक्षत्र हमारे पूर्वजों और वैदिक सनातन धर्म का द्योतक है.
रेवती के नक्षत्र रूप होने के संदर्भ में, तैत्तिरीय ब्राह्मण २.६.१९.१ में उल्लेख है कि ऊर्ध्वा दिशा, शैशिरेण ऋतुना अतिछन्दा छन्दसा, सविता देवता, अजातशत्रु – सत्येन रेवती क्षत्रं ।
इसका अर्थ होगा कि यह नक्षत्र सत्य का रूप है.
यह नक्षत्र human rights activists, कमजोर लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ने वाले लोग (people who fight for the causes of vulnerable people like children and elderly people) ऐसे लोगों की कुंडली में पाया जाता है.
रेवती नक्षत्र में ग्रह वाले लोगों से समाज में अन्याय नहीं देखा जाता. यह नक्षत्र लोगों के अधिकारों की रक्षा का द्योतक है.
बहुत बड़े-बड़े वकीलों और जजों की कुंडलियों में रेवती नक्षत्र पाया जाता है. १ मई को गुरु का भी भारत के लग्न में प्रवेश हुआ है और तब से गुरु जो स्वयं न्यायालय, न्याय पालिका और न्यायाधीश के कारक हैं, भारत के नवम भाव जो न्याय और न्यायपालिका का भाव है, उसपर अपनी शुभ दृष्टि डाल रहे हैं.
रेवती नक्षत्र भारत की कुंडली के लिए संपत तारा में आता है जो बहुत समृद्धि और शुभ फल दायक होता है.
मंगल और राहु का भारत के लाभ भाव में रेवती में होना यह बता रहा है कि इस समय सुप्रीम कोर्ट बहुत असीमित ऊर्जा के साथ काम करेगा और कुछ धमाकेदार निर्णय लेने वाला है जो भारत की जनता के लिए लाभप्रद होगा. ये एक अंगारक योग बना रहा है. देखना यह है कि ये अंगारे किस किस को लपेटती हैं.