ब्रजेश सिंह सेंगर-
जितना नुकसान किया भारत का , दुश्मन भी न कर पाता ;
दसकों पीछे किया देश को , अब्बासी-हिंदू भारत का नेता ।
सेना को कमजोर कर दिया , दुश्मन-देशों की यारी में ;
अग्निवीर को लेकर आया , भारत से गद्दारी में ।
संस्थान कर दिये नपुंसक , चुनाव-आयोग बधिया कर डाला ;
हर-चुनाव छल-बल से जीता , जनादेश कचरा कर डाला ।
महामूर्ख हैं इसके वोटर , महाधूर्त संगी सब साथी ;
सच्चे-धर्म से सभी दूर हैं , सब के सब हैं स्वार्थ के साथी ।
महामूढ़ जो हिंदू ! जनता , अज्ञान की निद्रा सोयी है ;
धर्म – सनातन भूलने वाली , हिंदू – जनता रोयी है ।
महाविनाश कर रहा धर्म का , पौराणिक-मंदिर तोड़े जाते ;
भारत का अब्बासी-हिंदू , सत्यानाश कर रहा जाते-जाते ।
कितनी नफरत भरी है मन में ? हिंदू अब तक समझ न पाया ;
अब्बासी-हिंदू नफरत का पुतला,तन मन धन म्लेच्छों से पाया।
सबसे बड़ा साजिशकर्ता है , महाधूर्त है ये मक्कार ;
हिंदू-धर्म मिटाना चाहे , अरब – अमेरिका का ऐयार ।
ऐयार का मतलब पहले जानो , ये जासूस को कहते हैं ;
अब्बासी-हिंदू जासूस शत्रु का , हिंदू ! नहीं समझते हैं ।
हिंदू ! उलझा झूठे – नारों में , शत्रुबोध को भुला चुका है ;
शत्रु-मित्र में भेद न जाने , अपनी-हस्ती मिटा चुका है ।
सबके विश्वास का नारा झूठा , इसका हर-नारा झूठा है ;
सारी मन की बातें झूठी , इसका सब-कुछ झूठा है ।
हिंदू – धर्म मिटा देने का , सपना मन में पाले है ;
चूर – चूर होगा ये सपना , अब गेंद हमारे पाले है ।
हिंदू – जागरण प्रारंभ हो चुका , इस चुनाव में दिखा दिया है ;
चुनाव-आयोग का फर्जीवाड़ा, उसको मुॅंह की खिला दिया है ।
मुश्किल में अब्बासी – हिंदू , जल्दी ही गिर जायेगा ;
इसका दीपक है बुझने वाला , जल्दी ही बुझ जायेगा ।
सदा जागते रहना हिंदू ! कोई न धोखा खाना है ;
होने वाला मध्यावधि-चुनाव है , अच्छी-सरकार बनाना है ।
सर्वश्रेष्ठ भारत का दल है , “एकम् सनातन भारत” दल ;
सारे-हिंदू ! इसमें आ जाओ , अजेय बने हिंदू का बल ।
“राम-राज्य” यदि तुम्हें चाहिये , धर्म का शासन लाना होगा ;
“एकम् सनातन भारत” दल की ही सरकार बनाना होगा ।
“राम-राज्य” का विकल्प सामने, हिंदू ! तुमको यदि पाना है ;
एकमात्र बस यही मार्ग है , धर्म का शासन लाना है ।