भारतवर्ष टूट सकता है (भाग-4)
साफ-साफ खिंच चुका है पाला , अच्छे और बुरे लोगों का ;
एक तरफ सुप्रीम-कोर्ट है , साथ है अच्छे – लोगों का ।
अब्बासी – हिंदू है खड़ा सामने , ये सरदार है चोरों का ;
चालीस-चोरों की बात पुरानी , ये सरदार करोड़ों का ।
वामी, कामी, जिम्मी, सेक्युलर , पापी हैं जितने भारत के ;
सब के सब ही साथ हैं इसके , महाशत्रु जो भारत के ।
ये न सोचो क्रूर – कृत्य का , दोषी केवल व्याघ ;
जो तटस्थ हैं समय लिखेगा , उनके भी अपराध ।
“दिनकर जी” ने ठीक कहा है , शत-प्रतिशत ये सत्य ;
धर्म-युद्ध चल रहा देश में , कोई मत रहो तटस्थ ।
विजय सदा ही सत्य की होती , अब भी सत्य ही जीतेगा ;
पर जितने भी तटस्थ हैं हिंदू ! उनका गला कटेगा ।
तटस्थ का मतलब महामूढ़ता या हिंदू ! की नपुंसकता ;
हिंदू ! अपने भय को त्यागो , छोड़ो पूरी-कायरता ।
राम – कृष्ण के तुम हो वंशज , प्रताप – शिवा हैं तेरे अग्रज ;
पर अब्बासी-हिंदू के कारण , नाले में घुस गया अनुज ।
भ्रष्टाचार को सहने वाला देश , कभी नहीं बच सकता है ;
अब्बासी-हिंदू नेता के कारण , भारतवर्ष टूट सकता है ।
मार्ग बंद है सच्चाई का , बिका हुआ है प्रेस-मीडिया ;
सरकारी-विज्ञापनों को पाकर,पूरी सड़ गयी टीवी की दुनिया ।
नब्बे-प्रतिशत खबरें झूठी , अब्बासी-हिंदू का महिमा-मंडन ;
सबसे बड़ा सत्य का दुश्मन , हिंदू ! कर दो इसका मुंडन ।
आर्थिक-अपराधी ये सारे हैं , सार्वजनिक-धन लूटने वाले ;
हिंदू ! की मेहनत का पैसा , चोरी से ये सब खाने वाले ।
इनके हलक में हाथ डालकर , इस धन को वापस लाना है ;
काला – धंधा चुनाव – चंदे का , उसे बरामद करना है ।
सारा – पैसा वापस लाकर , चोरों को सजा दिलाना है ;
सुप्रीम-कोर्ट ने सच को बचाया ,अब हिंदू को आगे आना है ।
विधि-सम्मत बस यही मार्ग है , अच्छी-सरकार बनाना है ;
चोरों को जब सजा मिलेगी , तब ही धन वापस आना है ।
करे जो रक्षा अपने भारत की , ऐसी सरकार बनाना है ;
एक ही दल इसके काबिल है , उसको सत्ता में लाना है ।
“एकम् सनातन भारत” ही ऐसा , भारत-वर्ष बचा सकता है ;
धर्म से शासन कर सकता है , “राम-राज्य” को ला सकता है ।