श्वेता पुरोहित-
एक समय की बात है । भगवान सूर्य के पुत्र शनि बचपन में बहुत सुंदर थे । और तेजस्वी भी, इनकी सुंदरता को देखते हुए, गंधर्व ने अपनी पुत्री कंकाली के साथ शनि देव का विवाह करा दिया । लेकिन अत्यंत सुंदर होने के कारण इंद्र की सभा के अप्सरा अक्सर इन्हें देखने जाया करती थी। इन अप्सरा को देखकर कई बार शनि देव उन पर मोहित हो गया, यह बात गंधर्व पुत्री कंकाली को अच्छी नहीं लगती थी। तब गंधर्व पुत्री कंकाली ने अपने पति शनिदेव को यह श्राप दे दिया कि आज की पश्चाताप सुंदरता को खोकर बदसूरत हो जाए और आपकी दृष्टि हमेशा नीचे की तरफ रहे अगर आप सीधी दृष्टि से किसी की तरफ देखते हैं । तो उस पर साढ़ेसाती का प्रभाव पड़ जाएगा । तब शनिदेव भगवान शिव की घोर तपस्या की तपस्या के पश्चात भगवान शिव प्रसन्न हुए और बोले हे सूर्यपुत्र शनिदेव वर मांगो। तब शनिदेव बोले यह सदा शिव शंभू हम पर कृपा करके हमें सृष्टि पर सीधे देखने के लिए वर दीजिए भगवान शिव भोले जो व्यक्ति शनिवार के दिन पीपल के नीचे तेल चढ़ेगा उस पर तुम्हारे पढ़ने वाले को दृष्टि शुभ दृष्टि में बदल जाएगी इसीलिए शनिवार के दिन पीपल के नीचे शनिदेव की पूजा होती है।