ब्रजेश सिंह सेंगर-
काश ऐसा होता , कानून का शासन होता ;
भारत का हर नेता – अफसर , कर्तव्यनिष्ठ हो जाता ।
जस का तस कानून हो लागू , अच्छे – कानून बनाओ ;
संविधान की हर -धारा को , अमली जामा पहनाओ ।
मूलाधिकार की पूर्ण-सुरक्षा ,अभिव्यक्ति-स्वतंत्रता लाओ ;
भ्रष्टाचार को पूरा कुचलो , मृत्युदंड तक लाओ ।
केवल भ्रष्टाचार के कारण , पूरा भारत बर्बाद है ;
चुनाव-आयोग तक भ्रष्ट हो चुका, अब्बासी-हिंदू आबाद है ।
लोक – सेवक सेवकाई भूले , बन बैठे हैं स्वामी ;
कितना गिर गया देश का नेता ? मन में भरी गुलामी ।
धर्म – संस्कृति – संस्कार के , बन गये हैं पूरे – दुश्मन ;
धार्मिक-शिक्षा व मंदिर हड़पा , लूट रहे इन सबका धन ।
गो-हत्या बढ़ती जाती है , म्लेच्छों का भर रहे हैं पेट ;
म्लेच्छों की अय्याशी भाती , अब्बासी-हिंदू है लम्बलेट ।
चरित्र का संकट बढ़ता जाता , भारत ! डूबता जाता ;
नेता की तो बात ही छोड़ो , धर्माचार्य बिक जाता ।
नब्बे – प्रतिशत नेता – अफसर व भारत के धर्माचार्य ;
चरित्रहीन हैं – महाभ्रष्ट हैं , बहुत ही गंदे इनके कार्य ।
बहुत बुरी हालत है देश की , कभी भी ढह सकता है ;
अंतिम-आशा धर्म-सनातन , इसी से बच सकता है ।
हर – हिंदू ! का आवाहन है , भारतवर्ष बचाओ ;
अभी से इसमें जुटना होगा , अच्छी-सरकार बनाओ ।
अच्छी-सरकार वही दल देगा , जो खुद अच्छा होगा ;
ऐसा तो दल एकमात्र है , उसे ही लाना होगा ।
“एकम् सनातन भारत” दल ही , अच्छा – शासन देगा ;
धर्मनिष्ठ ये शासन होगा , सर्वोत्तम ये होगा ।
सारे – हिंदू ! हर दल छोड़ो , इसमें ही आ जाओ ;
धर्म , देश व राष्ट्र बचेगा , “राम-राज्य” को पाओ ।
“राम-राज्य” में सबकी रक्षा , कोई भी हो जाति-धर्म ;
आतंकी-अपराधी नहीं बचेंगे , ऐसा ही होगा राज-धर्म ।
दुष्टों का संहार सुनिश्चित , निश्चित जनता की रक्षा ;
पालन-पोषण सबका होगा , मांगे कोई न भिक्षा ।
सबको सब-कुछ मिल सकता है , बस अच्छी-सरकार हो ;
“एकम् सनातन भारत” जब आये, तब ही ऐसी सरकार हो ।