सुप्रीम-कोर्ट ढीले मत पड़ना
एक ही दिन अब शेष बचा है , साफ सूपड़ा होने वाला ;
भारत-वर्ष के दिन बहुरेंगे , अब्बासी-हिंदू जाने वाला ।
यदि बेईमानी से जीत गया तो , भारत-वर्ष हार जायेगा ;
जनादेश ठुकराने वाला , देश आग में झोंक जायेगा ।
चुनाव-आयोग निष्पक्ष नहीं है , ये गड़बड़ कर सकता है ;
देश की चिंता करने वालों की , पूरी-नींद उड़ा सकता है ।
सर्वप्रथम सुप्रीम-कोर्ट है , न्याय का सबसे बड़ा है रक्षक ;
सुप्रीम-कोर्ट ढीले मत पड़ना, तुम्हें मिटाना न्याय के भक्षक ।
चुनाव-आयोग बन गया है भक्षक , लोकतंत्र खा सकता है ;
केवल सुप्रीम-कोर्ट में ही शक्ति , भारत-वर्ष बचा सकता है ।
देशभक्त सारे अधिवक्ता , सुप्रीम-कोर्ट को शक्ति दें ;
महायुद्ध ये चुनाव चल रहा , सत्य को अपनी शक्ति दें ।
सत्य नहीं मिटने देना है , वरना भारत मिट जायेगा ;
अब्बासी-हिंदू नेता के चलते , ऐसा ही हो जायेगा ।
पूरा – देश लगा बाजी पर , बेईमानी की चौसर है ;
चुनाव-आयोग है शकुनी-मामा , इसकी मुट्ठी में चौसर है ।
बेईमानी का खेल बंद हो , सुप्रीम-कोर्ट तय करें व्यवस्था ;
सच्चाई से खेल हो पूरा , बेईमानी की मिटे अवस्था ।
सुप्रीम-कोर्ट भी जान रहा है , जनादेश जनता का निर्णय ;
जनता-जनार्दन ईश्वर का रूप है,सबसे बड़ा है इसका निर्णय।
चुनाव-आयोग न करे मिलावट , शुद्ध-शुद्ध निर्णय आने दे ;
सुप्रीम-कोर्ट ये करें सुनिश्चित , निर्णय दूषित न होने दें ।
सारे-घोड़े खोल चुका है , अब्बासी-हिंदू भारत का नेता ;
सुप्रीम-कोर्ट को लगाम है कसना , अपनी हद में रहे ये नेता ।
कुदरत का सिद्धांत यही है , सबको हद में रहना है ;
जो भी हद का करे उल्लंघन , उसको कुदरत से पिटना है ।
सारी – हदें तोड़ दी इसने , अब्बासी – हिंदू जो नेता ;
सुप्रीम-कोर्ट का चले हथौड़ा , वरना देश नहीं बचता ।
सुप्रीम-कोर्ट देरी मत करना , तुमको देश बचाना है ;
पूरी तरह गर्म है लोहा , कसकर चोट मारना है ।
ऐसी चोट पड़े लोहे पर , मनचाहा आकार हो ;
लोकतंत्र के जितने सपने , हर सपना साकार हो ।